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|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
जग मायाजाळ
अर
धन माटी
पछै क्यूं करै
मिनख
चोरी अर डकैती
क्यूं ल्यै रिसपत
अर
क्यूं अपणावै
नवा-नवा हथकंडा।
</poem>
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जग मायाजाळ
अर
धन माटी
पछै क्यूं करै
मिनख
चोरी अर डकैती
क्यूं ल्यै रिसपत
अर
क्यूं अपणावै
नवा-नवा हथकंडा।
</poem>