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म्हारो सुख / मदन गोपाल लढ़ा

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|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
दिन ऊगै सड़क माथै
सड़क माथै बिसूंजै दिन।

सड़क मारफत
म्हारा हाथ पूगै-
रोटीसर।

हवाई जाझ सूं बेसी
चोखा लागै म्हांनैं
जीप, बस अर ट्रक।

थम्योड़ो साधन है म्हारो सुख
अर उणरै ग्रीस करणै रो हुकम
साम्परतै मालक री महर!
</poem>
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