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बालाजि / भानुभक्त आचार्य

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वरिपरि लहरामा झूलि बस्न्या चरा छन्,
मधुर वचन बोली मन् लिँदा क्या सुरा छन्।।१।।
 
याँहाँ बसेर कविता यदि गर्न पाऊँ,
यस्देखि सोख अरु थोक म के चिताऊँ।
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