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फूल हैं, काँटे भी हैं, शीशे भी हैं, पत्थर भी हैं,
पॉव पाँव भी बढ़ते रहे, पथ भी नये बनते रहे।
गीत, कविता या ग़ज़ल केवल बहाना दोस्तो,
आदमी से, आदमी की बात हम करते रहे।
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