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दिखाई दे रही है कई कई चीजें<br>देख रहा हूँ बेशुमार चीजों के बीच एक चाकू<br>अदृश्य हो गई अकस्मात तमाम चीजें<br>दिखाई पड़रहा सिर्फ चमकता चाकू<br>देखते के देखते गायब हो गया वह भी<br>रह गई आँखों में सिर्फ उसकी चमक<br>और अब अँधेरे में वह भी नहीं<br>और यह कैसा चमत्कार<br>कि अदृश्य हो गया अँधेरा तक<br>सिर्फ आँखें हैं कुछ नहीं देखती हुई<br><br>
और अन्त में<br>कुछ नहीं देखना भी नहीं बचा<br>बेशुमार चीजों से कुछ नहीं तक को <br>देखने वाली आँखे भी नहीं बचीं।</poem>