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पत्थर की बैंच
जिस पर रोता हुआ बच्चा
बिस्कुट कुतरते चुप हो रहा है
पत्थर की बैंच<br>जिस पर रोता हुआ बच्चा<br>एक थका युवकबिस्कुट कुतरते चुप हो अपने कुचले हुए सपनों को सहला रहा है<br><br>
जिस पर एक थका युवक<br>हाथों से आँखे ढाँपअपने कुचले हुए सपनों को सहला एक रिटायर्ड बूढ़ा भर दोपहरी सो रहा है<br><br>
जिस पर हाथों से आँखे ढाँप<br>वे दोनोंएक रिटायर्ड बूढ़ा भर दोपहरी सो रहा है<br><br>जिन्दगी के सपने बुन रहे हैं
पत्थर की बैंच जिस पर वे दोनों<br>अंकित है आँसू, थकानजिन्दगी के सपने बुन रहे हैं<br><br>विश्राम और प्रेम की स्मृतियाँ
पत्थर की बैंच <br>जिस पर अंकित है आँसू, थकान<br>विश्राम और प्रेम की स्मृतियाँ<br><br> इस पत्थर की बैंच के लिए भी<br>शुरु हो सकता है किसी दिन<br>हत्याओं का सिलसिला<br>इसे उखाड़ कर ले जाया<br>अथवा तोड़ा भी जा सकता है<br>पता नहीं सबसे पहले कौन आसीन हुआ होगा<br>
इस पत्थर की बैंच पर!
</poem>
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