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Kavita Kosh से
कोई नहीं सुन पाता मुझे
उसमें कोई किसी का नहीं सुनता
पहला शब्द इस जीवन का जो याद मुझे अब तक
जैसे वो हो मेरी अस्मिता
तो मैं लिखता हूँ यह कि कोई पढ़े
कौन
11.6.2002
Anonymous user