भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
अगर वो चैन-ओ-क़रार था तो उदासियाँ दे गया कहाँ वो।वो
मेरे तसव्वुर में आ के लेता जगह तुम्हारी खु़दा कहाँ वो।
जो उसने चाहा तो जी उठा मैं, जो उसने चाहा तो मर गया मैं,
जो मौत को लंबी ज़िंदगी दे मैं ढूँढता हूँ दवा कहाँ वो।
न अब शिकायत, न कोई ग़ुस्सा,न मिलने की अब वो जुस्तजू ही,
जो ला के मुझको यहाँ पे छोड़ा था रास्ता तो गया कहाँ वो।
वो वक़्त के हाथों की हो ख़ुशबू तो क्या बताऊँ पता मैं उसका,
अभी-अभी तो यहीं कहीं था, अभी-अभी फिर गया कहाँ वो।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits