भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कुछ धुआँ, कुछ आग बनने दीजिए।दीजिए
प्यार का तूफ़ान थमने दीजिए।
पाँव रखने में अगर मुश्किल कोई,
तेा किनारा और कटने दीजिए।
ख़ुदबख़ुद आ जायगा सच सामने,
बर्फ़ को थेाड़ी पिघलने दीजिए।
फिर ज़रूरत के नये आयाम हों,
फिर खुशी को दर्द बनने दीजिए।
ये हवेली से बना खँडहर बसे,
पंछियों को नीड़ बुनने दीजिए।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits