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ऊँची ज़ात / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल
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11:30, 12 सितम्बर 2017
दो दिल न हो जाएँ इकट्ठे नित पंचायत जुड़ी।
वैसे ही न जीने देते पापी लगे इश्क़ बला।
'''मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल'''
</poem>
अनिल जनविजय
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