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इज़्ज़तपुरम्-46 / डी. एम. मिश्र

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<poem>
दीर्घ-लघु
श्याम-श्वेत
स्थूल-दुंर्बल
शुष्क-हरित
समान सब

नाम-जाति
गेात्र-वंश
कुल-धर्म
से क्या मतलब?

फैलती
और फटे जूते जैसी
पसरती काया पर
पैसे की बल भर
निरन्तर
हुमक-हुमक चोट

ऊँचाई पर उड़ते
अश्लील गुब्बारे
लावारिस पशुओं को
बाँधने की खींचतान
खुली सौदेबाजी
लेन-देन में
चक-चक
</poem>
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