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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सूरते सरकार
लाल टोपी का
दबदबा भी
मुकाबले में
झक मारें
लुच्चे-लफंगे
चोर और उचक्के
पूरी मेज
छेंककर
बैठ जाये
डंडा दिखा
मुफ्त का
डकारे और
ऊपर से ले
हाजमोले का दाम भी
अपराध की
जड़े बढें
बैज और बिल्ले की
उपजाऊ सनक से
</poem>
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|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
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सूरते सरकार
लाल टोपी का
दबदबा भी
मुकाबले में
झक मारें
लुच्चे-लफंगे
चोर और उचक्के
पूरी मेज
छेंककर
बैठ जाये
डंडा दिखा
मुफ्त का
डकारे और
ऊपर से ले
हाजमोले का दाम भी
अपराध की
जड़े बढें
बैज और बिल्ले की
उपजाऊ सनक से
</poem>