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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कैसी है
अम्मीजान
कहने को तो
औलाद की तरह पाले
पर , हकीकत में हैं वो
भेड़-बकरियों की तरह
कसाइयों को
खुदा बराबर तरजीह दे
विक्रय-कला में उस्ताद
आँख-नाक-कान
कपोल-केश-ग्रीवा
दन्त-अधर-छाती
कमर-पेट-पेड़ू
नितम्ब-पाँव –उँगली
अंग-अंग की
खूबियाँ बड़ी
बारीकी से बताये
</poem>
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|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
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कैसी है
अम्मीजान
कहने को तो
औलाद की तरह पाले
पर , हकीकत में हैं वो
भेड़-बकरियों की तरह
कसाइयों को
खुदा बराबर तरजीह दे
विक्रय-कला में उस्ताद
आँख-नाक-कान
कपोल-केश-ग्रीवा
दन्त-अधर-छाती
कमर-पेट-पेड़ू
नितम्ब-पाँव –उँगली
अंग-अंग की
खूबियाँ बड़ी
बारीकी से बताये
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