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Kavita Kosh से
छोड़ें री मोहे समझाना कुछ करके दिखाएँ मोरे भैया ...
मार-मार मन को री भाभी कहीं मर नहीं जाएँ मोरे भैया ...
घुट-घुट रोए हैं अकेले कभी हँस नहीं पाए मोरे भैया ...
चाहे तोसे आँख मिलाना पर सर ही झुकाएँ मोरे भैया ...
फूँक दें अन्धेरा सारे घर का ज़रा अग्नि दिखाएँ मोरे भैया ...
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