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वक्तसाज़ उम्र / सुरेश चंद्रा

No change in size, 07:22, 20 अक्टूबर 2017
तेज़ रफ़्तार में छिटक कर गिरा
अधूरापन, ऊंची ऊँची आवाज़ देता है
साथ जो था सपनों का सौदागर
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