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04:42, 21 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एमिली डिकिंसन
|अनुवादक=
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<poem>
कुछ लोग कहते हैं
कि बोलते ही
मर जाता है एक शब्द.
मैं कहती हूँ
कि उसी दिन से
जीना शुरू करता है वह.
'''अनुवाद : मनोज पटेल'''
</poem>
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