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पद्मराग मैं / रामनरेश पाठक

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|संग्रह=मैं अथर्व हूँ / रामनरेश पाठक
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<poem>
प्रातः नमन
सविता संधि
अर्घ्य संकल्प
अंजलि में श्वेत पद्म एक : बुद्ध!

आज उगते सूर्य वेला, आ
एक हँसती पँखुरी दे मुझे
लाल-लाल गुलाब की
(यह गुलाब प्रतिपूर्ण मेरे स्वयं का है
मैं अभी जीवित हूँ, अर्घ्य देता हूँ)
एक हँसती पँखुरी दे मुझे लाल लाल गुलाब की!

दोपहर कर्म
चीवर आटन
कर्म-पुरुष
अंजलि में पीट पद्म एक : कृष्ण!
आज ढ़लती बेर सुया, आ
एक हँसती पँखुरी रख मेड़ पर
लाल-लाल गुलाब की
(यह गुलाब प्रतिमित्र मेरे स्वयं का है
मैं अभी जीवित हूँ, हल चलाता हूँ, कृष्टि करता हूँ)
एक हँसती पँखुरी रख मेड़ पर लाल-लाल गुलाब की!

साँध्य श्रांति
रति-स्मर संधि
विलास पूत अंजलि में रक्तनील पद्म एक : शिव!
आज जलते दीप वेला, आ
आ, रमा, ओ आ
एक हँसती पँखुरी रख सेज पर
लाल लाल गुलाब की
(यह गुलाब प्रतिचक्षु मेरे स्वयं का है
मैं अभी जीवित हूँ, यज्ञ करता हूँ)
एक हँसती पँखुरी रख सेज पर लाल-लाल गुलाब की!

(संस्कृति) स-पद्मराग
निर्ग्रन्थ-सग्रंथ
पद्मराग : सग्रंथ-निर्ग्रन्थ मैं

</poem>
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