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तेरे द्वारे आऊँ माँ
नितनित शीश नवाऊँ माँ कुछ अपनी, कुछ जग बीती दुनिया को बतलाऊँ माँ गुलदस्ते मैं ग़ज़लों के मैं चरणों तक पहुँचाऊँ माँ वाणी में बस जाना तुम गीत, ग़ज़ल जब गाऊँ माँ  बेख़ुद हैं सब लोग यहां किस-किस को समझाऊँ माँ मेरी अभिलाषा है ये तेरा सुत कहलाऊँ माँ याद करे दुनिया जिससे कुछ ऐसा कुछ कह जाऊँ माँ लोग 'रक़ीब' समझते हैं क्या उनको बतलाऊँ समझाऊँ माँ
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