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मंगलमूर्ति / परिचय

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'''जन्म-स्थान''': लहेरिया सराय, दरभंगा, बिहार
'''जीवन-परिचय''': बालेन्दुशेखर मंगलमूर्ति (आचार्य शिवपूजन सहाय के कनिष्ठ पुत्र) का जन्म लहेरियासराय, दरभंगा में हुआ था जब उनके पिता वहाँ प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था ‘पुस्तक भंडार में संपादन कार्य करते थे। प्रारंभिक शिक्षा छपरा में हुई जहाँ उनके पिता राजेन्द्र कॉलेज, छपरा में हिंदी प्रोफेसर हो कर आ गए थे, और विश्वविद्यालयी शिक्षा बाद में पटना में हुई जब उनके पिता बिहार राष्ट्र-भाषा परिषद् के संचालक होकर पटना आ गए थे। तब पटना विश्वविद्यालय से १९५९ में अंग्रेजी में एम्.ए. किया और उसी वर्ष से मुंगेर के आर.डी.डी.जे. कॉलेज में अंग्रेजी में प्राध्यापन प्रारम्भ किया। वहीं रहते हुए अंग्रेजी की शोध पत्रिका ‘कंटूअर’ (१९७२-२००२) का सम्पादन किया और पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी-लेखन भी शुरू किया। १९७६ में अमेरिकी कथाकार एडगर एलन पो के कथा साहित्य पर पटना वि.वि. से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की । १९८८ में पटना के कॉमर्स कॉलेज में आ गए जहाँ से १९९९ में सेवा-निवृत्त हुए। १९९८ से ही २००२ तक यमन गणराज्य के ताईज विश्वविद्यालय में भाषा-विज्ञान के प्रोफेसर रहे। सेवा-निवृत्ति के बाद यमन से लौट कर २००२ से २०१२ तक वाराणसी में रहे। इसी अवधि में मुख्य रूप से अपने पिता के साहित्यिक संग्रह एवं सम्पूर्ण कृतित्व के संरक्षण-सम्पादन में संलग्न रहे और उनकी कई कृतियों तथा उनके सम्पूर्ण साहित्य का ‘शिवपूजन सहाय साहित्य समग्र’ नाम से १० खंडो में संपादन संपन्न किया जो २०११ में प्रकाशित हुआ। इन्हीं दिनों नाटककार श्री वीरेंद्र नारायण की ‘ग्रंथावली’ (५ खंड) का संपादन भी किया। पटना और बनारस में बराबर साहित्यिक पत्रिकाओं में हिंदी और अंग्रेजी में लिखते रहे और दोनों ही भाषाओँ में कई पुस्तकें इसी अवधि में प्रकाशित हुईं। श्रीमंगलमूर्ति का मुख्य साहित्यिक अवदान अपने पिता श्री शिवपूजन सहाय के बहुमूल्य साहित्यिक संग्रह का संरक्षण तथा उनके साहित्य का सम्पादन रहा है। यद्यपि हिंदी और अंग्रेजी में में उन्होंने छित-फुट कुछ कहानियाँ, कवितायें, संस्मरण, लेख आदि भी लिखे हैं जो अभी पुस्तकाकार प्रकाशित नहीं हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में सामान रूप से अच्छा अनुवाद करते है, और ख्यात पत्र-पत्रिकाओं में ये अनुवाद प्रकाशित भी हैं। हिंदी में बाबू जगजीवन राम की इनकी लिखी एक जीवनी (२०१०) में प्रकाशित हुई थी और इधर के वर्षों में इनकी लिखी डा. राजेंद्र प्रसाद की अंग्रेजी में जीवनी शीघ्र प्रकाश्य है। ये एक नियमित ब्लॉगर हैं और इनके ब्लॉग - vibhutimurty.blogspot.com पर इनकी हिंदी और अंग्रेजी की बहुत सी रचनाएँ उपलब्ध है। फेसबुक (@Bsm.murty) पर भी इनके लिखे साहित्यिक पोस्ट पढ़े जाते हैं। श्रीमंगलमूर्ति (२०१२ से) १/९ विराट खंडश्री मंगलमूर्ति, गोमती नगरH302, सेलिब्रिर्टी गार्डन, सुशांत गोल्फ़ सिटी, अंसल एपीआई, लखनऊ , 226030 में रहते हैं। उनका ईमेल bsmmurty@gmail.com है तथा मो. +91-7752922938 है।
'''प्रकाशित कृतियाँ''': प्रेमचंद पत्रों में, हिंदी-भूषण शिवपूजन सहाय, जानवर फार्म, चाबी, शिवपूजन सहाय (विनिबंध), बाबू जगजीवन राम; (अंग्रेजी में) दि हांटेड पैलेस, एसेज ऑफ़ फिराक, लिटरेरी एसेज, एसेज इन लिंग्विस्टिक्स, मैकबेथ (संपादित). आदि।
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