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|रचनाकार=कुमार मुकुल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
नागरिकता खोते लाखों रोहिंग्या
जब पनाहगाह ढूढ रहे
रोबोट सोफिया को
नागरिकता देता एक मुल्क
उसके स्वागत की अपील कर रहा
विडम्बना का विकास है यह
अब सम्मेलनों में
सोफ़िया वक्तृता देगी, साक्षात्कार देगी
पत्रकार पूछेंगे -रोहिंग्या क्या बला है?
सोफ़िया बोलेगी - यह चिथड़े होती
मनुष्यता का आखिर दृश्य है
तुमको परेशानी होगी
पर जल्द ही हम
तमाम भले लोगों के साथ
चाँद-मंगल पर चला जायेगा।
</poem>
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नागरिकता खोते लाखों रोहिंग्या
जब पनाहगाह ढूढ रहे
रोबोट सोफिया को
नागरिकता देता एक मुल्क
उसके स्वागत की अपील कर रहा
विडम्बना का विकास है यह
अब सम्मेलनों में
सोफ़िया वक्तृता देगी, साक्षात्कार देगी
पत्रकार पूछेंगे -रोहिंग्या क्या बला है?
सोफ़िया बोलेगी - यह चिथड़े होती
मनुष्यता का आखिर दृश्य है
तुमको परेशानी होगी
पर जल्द ही हम
तमाम भले लोगों के साथ
चाँद-मंगल पर चला जायेगा।
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