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असम्भव / रमानाथ अवस्थी

11 bytes removed, 04:54, 7 दिसम्बर 2017
<poem>
ऐसा कहीं होता नहीं
ऐसा कभी होगा नहीं ।नहीं।
धरती जले बरसे न घन,
सुलगे चिता झुलसे न तन ।तन।औ ज़िंदगी में हों न ग़म ।ग़म।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।नहीं।
हर नींद हो सपनों भरी,
डूबे न यौवन की तरी,
हरदम जिए हर आदमी,
उसमें न हो कोई कमी ।कमी।
ऐसा कभी होगा नहीं,
ऐसा कभी होता नहीं ।नहीं।
सूरज सुबह आए नहीं,
औ शाम को जाए नहीं ।नहीं।
तट को न दे चुम्बन लहर
औ मृत्यु को मिल जाए स्वर ।स्वर।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।नहीं।
दुख के बिना जीवन कटे,
सुख से किसी का मन हटे ।हटे।
पर्वत गिरे टूटे न कन,
औ प्यार बिन जी जाए मन ।मन।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।नहीं।
</poem>
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