भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अतः त्याज्यं बलपूर्वकम्
सत्कर्मो रक्षति दुख्खात्
सत्करो सत्कर्मो भवति वंशरक्षकः
कर्मं बिना जीवनं कथम्
अतः कर्मनि करनीयं अहरनिशम्।कर्माणि करनीयमहर्निशम्।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits