भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
अतः त्याज्यं बलपूर्वकम्
सत्कर्मो रक्षति दुख्खात्
कर्मं बिना जीवनं कथम्
अतः कर्मनि करनीयं अहरनिशम्।कर्माणि करनीयमहर्निशम्।
</poem>