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महाकाव्य / अर्चना कुमारी

2 bytes removed, 13:34, 20 दिसम्बर 2017
डायरी के पन्ने
सांसों साँसों की गिनतियांगिनतियाँ
कोई नही लिखता
अतीत की घुमावदार पगडंडियांपगडंडियाँ
भविष्य के किसी शहर नहीं जाती
सब शाश्वत चिरंतन है
नश्वरता में समाहित है
नवीन रचनाओं का उत्स...
महाकाव्य फिर लिखे जाएंगे।
</poem>
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