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|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
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|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
हाथां नै हथियार चाइजै
वांनै तौ नीं प्यार चाइजै।

रोळौ-बैधौ आज माचर्यौ
किरतब नीं अधिकार चाइजै।

फेरूं आग्या धोळपोसिया
चानस केई बार चाइजै।
मांगै सगळा राज-काज अब
जन री पण हूंकार चाइजै।

राज हुवै जद तंत-बायरौ
तारणियौं करतार चाइजै।

भाई बरगौ मीत मान ले
बखत-बखत- फटकार चाइजै।

चेत मुसाफ़िर मिनख जात नै
आज फगत सिणगार चाइजै।
</poem>
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