भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम बादल बन / सैयद शहरोज़ क़मर

7 bytes added, 08:13, 27 दिसम्बर 2017
विवशता है
इसे
नपुंसकता से भी
कह सकते हैं।
04.07.97
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits