भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रवचन / कैलाश पण्डा

656 bytes added, 13:30, 27 दिसम्बर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश पण्डा |अनुवादक= |संग्रह=स्प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कैलाश पण्डा
|अनुवादक=
|संग्रह=स्पन्दन / कैलाश पण्डा
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
वह बोला नहीं
मैनें भी मौन साधा
वह शून्यवत्
किन्तु चेतन
मैं जाग्रत
सम्पूर्ण इन्द्रियों को बाधा
केवल आंखों से
आखों में
बहा दिया
उसने ग्रहण किया
समर्पण से
और प्रवचन हो गया।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits