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दाबेड़ा आंसू / करणीदान बारहठ

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<poem>
आभो अंघड़ स्यूं ढाक्यो हो,
तारां री टोली सोयोड़ी।
चोरां नै आछी लागै बा,
खल रात दीखती कालोड़़ी।

पन्ना सूती ही पोली में,
आसै पासै दोनूं टाबर,
एक आपरो दूजो बो हो,
चित्तोड़ो आशा ही जीं पर।

दोनां री आंख्यां चमकै ही
टर मर टर मर झपकै ही।
नींदड़ली बन्द करण खातर
आसै पासै लपकै ही।

‘पन्नाजी लोरी देवै ही,
‘सोओ सोाओ थे राणाजी।
जागण री बेला खातर जी,
सपना में खोाओ राणाजी।’

सीराणै आई नींदड़लो,
दोनां नै आपी आ वैरी।
दोनां री आंख्यां जा चढ़ी,
सूणै सपनां री पेड़ी।

इकलंग चालै ही आंधड़ली,
आंख्यां में धूल उड़ैले ही।
पन्ना सोचै ही आगै री,
राणा रै छोटी सी देह री।

आंध्यां रै आगै आवैलो,
मीठोड़ो मेह बरसतो सो।
अै राज रोवणी देखैली,
सोनै रो थाल निसरतो सी।

भूखी था धापी सेवूं हूं,
भावी आसा रै तारै नै।
ओ सूरज बणसी धरती रो,
अै तारा छिपसी लारै नै।

मेवाड़ी मान बचावणियो,
धरती रो धरम रूखालै लो।
मिनख पणै रो संग राख,
आंधै नै आंख दिरावैलो।

आं सपनां में डूबी ही पन्ना,
आंख्यां में झपकी आवै ही।
पसवाड़ो फोर्यो सोवण नै,
नींदड़ली कोड बुलावै ही।

खट खट खट कूंटो खड़क्यो,
दासी झट आई हांफ्योड़ी।
हड़बड़ करती पन्ना उट्ठी,
बोली ‘क्यूं आई दौड़ोड़ी।’

बोली दासी ‘है गजब हुयो’,
बनवीर बावळो होग्यो है।
है राज करण रो मोह बढ्यो,
बो स्याणप अपणी खोग्यो है।

बो खड़ग हाथ भाज्यो आवै,
राणा नै मौत दिरावण नै।
पन्ना सोचो करणो कांईं,
राणा री ज्यान बचावण नै।

पन्ना री काया धूज उठी,
मनड़ै री सा सस्टी हाली।
गोडां री ज्यान निकलगी ही,
पण सोच समझ पूठी चाली।

बनवीर पूंचग्यो झट भीतर,
आंख्यां री तोरी अणखाणी
कालख चमकै ही अधर मरो,
हाथ मौत ही मर ज्याणी।

बोल्यो ‘बोल पन्नड़ी बो कट्ठै,
मोती ज्यूं राख छिपायो है।
आ मौत सोचले राणा री,
बनवीर बुलाया आयो है।

पन्ना री काया कांपै ही,
हिवड़ो हलकै हो हाकै स्यूं।
मुखड़ै स्यूं बोल नहीं फूट्यो,
बा खड़ी दबेड़ै फाकै ज्यूं।

बण तुरत आंगली कर दिन्ही,
अपणै जामेड़ै बेटै पर।
बा कवल काळजै री झल पर,
बीं सामी माचै लेट्यै पर।

पन्ना हिवड़ै री कोर जकी,
भावी आशा रो दोप जको।
बो लाल लाल स्यूं प्यारो हो,
बो असली मावड़ रूप जको।
काया नै काट निकलियो हो,
हिय रो टूट्यो टुकड़ो हो
आलम हो जीवण रो छेकड़,
बो असली साथी सुखरो हो।

बनवीर पूंचग्यो झट ऊपर,
दो टूक करया झट भाग खड़यो।
बी रगत धार रो फुंवारो,
मां रै दूधै स्यूं जाय अड़यो।

आभै री आंख्यां बरस पड़ी,
बहग्या धरती हिय नाला।
देव्यां रोई सै देवां री,
बहग्या आंसूं रो परनाला।

शेष नाग कांप्यो डग डग डग,
सै मोर मोरड़यां करलाई।
मावड़ल्यां पूत सम्हाल लिया,
गायां झांकी भाजी आई।

पण पन्ना आंसू नहीं ल्याई,
बा रात रोंवती देखै ही।
बो हियो उछालो नहीं खायो,
तारां री टोली लेखै ही।

भल त्याग अनेकूं देख्या है,
पड़िया है आं इतिहासां में।
पण एक अनोखो त्याग जको,
लाद्यो है मां री भासा में।
</poem>
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