भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता / कुमार मुकुल

980 bytes added, 09:12, 1 फ़रवरी 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार मुकुल |संग्रह= }} {{KKCatK​​ avita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार मुकुल
|संग्रह=
}}
{{KKCatK​​
avita}}
<poem>
सांचक शिखर धरि जाय वला
दूरक रस्‍ता थिक कविता
​सांचक सूरजक आंच सं जों
हम्‍मर हाथ आ हम्‍मर पायर
फूलय लागय अछि
तं सपनाक हाथ सं
हमरा सभक कें थाम्हि ले अछि कविता
कल्‍पना केर पांखि सं ले उड़े अछि
बयार अ झंझावातक मध्‍य सों
ज नेना जकां काने लागी हम
त मायक लोरी जकां
सुता दे अछि कविता

आ अप्‍पन अंचरा खींच कै
सूरज के सोझा कैए दै अछि। ​

</poem>
765
edits