भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
( हाइकु )
* [[ओस की बूँद / जगदीश व्योम]]
1
नदी बनाता
सोख हवा से नमीं
वृद्ध पहाड़।
2
छीन लेता है
धनी मेघों से जल
दानी पहाड़
3
अनाम गंध
बिखेर रही हवा
धान के खेत।
4
ओस की बूँद
कैक्टस पर बैठी
शूली पे सन्त ।पर सन्त। 5 छिड़ा जो युद्ध रोयेगी मानवता हँसेंगे गिद्ध। 6 बिना धूरी की चल रही है चक्की पिसेंगे सब। 7 गंध के बोरे लाता है ढो ढोकर हवा का घोड़ा। 8 धूप में तपा पा गया सुर्ख रंग टीले का टेसू। 9 चीखता रहा झील पार चकोर निर्मोही चाँद। 10 उगने लगे कंकरीट के वन उदास मन।
</poem>