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[[Category: सेदोका]]
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46बेरुखी तोड़ेसारे प्यारे सम्बन्धजीवन-अनुबन्ध,जब अपनेचोट दे मुस्कुराएँकिसे दर्द बताएँ?47तपती शिलानिर्वसन पहाड़कट गए जंगलन जाने कहाँदुबकी जलधाराखग-मृग भटके.48झीलें है सूखीमिला दाना न पानीचिड़िया है भटकीआँखें हैं नमलुट गया आँगनसाँसें भी हैं अटकी।49घाटी भिगोतेरहे घन जितनेवे परदेस गएरूठ गए वेनिर्मोही प्रीतम-सेहुए कहीं ओझल।50छाती चूर कीचट्टानों की भी ऐसेपीड़ा दहल गई.विलाप करेदर-दर जा छायागोद हो गई सूनी।
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