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'''बात बताओ18''' डोंगे में रसगुल्ले, बक्खर ढक्कन से रखे थे ढककर कान खिंचे और झाड़ पड़ी देखे जो चुपके से चखकर। '''19''' हल्ला आज मचा है भारी जाने होता कौन मदारी चुप है मीता बोला चंदर वही नचाता है जो बन्दर। '''20''' हैं कितने अचरज की बातें कौन बनाता दिन और रातें फूल खिलाता इतने सारे देता तारों की सौगातें। '''21''' चारों ओर चुनावी चर्चे माँ! हम अपना फ़र्ज़ निभाएँ कौन पार्टी आमों वाली चलो आम थोड़े ले आएँ। '''22''' भिन्डी, गोभी, लाल टमाटर मुझको अच्छी लगती गाजर सारी सब्जी हँसकर खाऊँ झट से ताकतवर बन जाऊँ। '''23''' सुबह-सवेरे मैं उठ आऊँ, दादा जी संग बगिया जाऊँ। सुन्दर फूल कभी न तोडूँ; हरी घास पर खेलूँ दौडूँ॥ '''24''' मेरी बगिया कितनी न्यारी, फूलों की खुशबू है प्यारी। मस्त हवा के संग झूमते; पत्ते, कलियाँ सारी क्यारी॥ '''25''' माँ! बाँसुरिया वाला आया ढेर-ढेर बाँसुरियाँ लाया। एक दिला दो मुझको मैया; झट से मैं बन जाऊँ कन्हैया॥ '''26''' घूमे कितनी गली हवा, लगती मुझको भली हवा। रोज-रोज क्यों अम्मा कहतीं; जाने कैसी चली हवा॥