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आज जाने की ज़िद न करो
ऐसी बातें किया न करो
आज जाने की ज़िद न करो
तुम ही सोचो ज़रा क्यूँ न रोकें तुम्हें
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम
यूँ ही पहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद न करो
वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर
चंद घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं
उम्र-भर ना तरसते रहो
आज जाने की ज़िद न करो
कितना मासूम रंगीन है ये समाँ
हुस्न और इश्क़ की आज मेराज है