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Kavita Kosh से
इतनी पीडाएँ देती हैं
जितनी की कोई भूख से तड़पता हुआ बच्चा
चीखने में पुर्णतः पूर्णतः असर्थ हो...
ईसा के सलीब पर
मेरे बच्चे,
मरियम ने फिर से ईसा को जन्म दिया
तू भी ईशा ईसा की तरह शांत है
जब तुमने इस दुनिया में
पर्दार्पण किया
तब जबकि सभी रोते चीखते हैं
तुम जीसस की तरह मौन थे...
२
इंतज़ार शब्द धूमिल पड़ गया
मेरे शब्दकोश से
टकराती रही
मंदिर के घंटों से...
३
तुमने मुझे चमत्कृत किया
अपनी असामान्य हरकतों से
अचंभित होते हैं लोग
तुम्हारी विलक्षणता से
और / तुम हंस हँस रहे होते हो,
मुझे देखकर...
४
मैं अब समझने लगी हूँ
तुम्हारी इस रहस्मय हंसी हँसी में
छिपे उसके मायने को
यह दुनिया जो पागल है
सामान्य को असामान्य बना देती है
जबकि ये लोग खुद अराजक हैं
तुम हँसते हो उनकी मंद बुद्धी बुद्धि पर
और / मैं भी शरीक हो जाती हूँ
तुम्हारी इस शैतानी में...
मेरे बच्चे
एक मासूम-सी हंसी हँसी बिखेर देते हो
मेरे कंधे पर हाथ रखकर
देते हो दिलासा
मैं जीत जाऊँगा जंग
एक दिन माँ!
५
उम्मीदों के ललछौहें सपने में
मैं अक्सर देखती हूँ
दखलंदाजी देते हुए
दाखिल हो जाते हो
मेरे बच्चे,
जैसे माँ शब्द सुना मैंने