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म मरिदिन्छु / विमल गुरुङ

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म मरिदिन्छु
यदि देश बन्छ भने
म पात भएर हांगाबाट खसिदिन्छु
स्वतन्त्रताकी देबी !
यदि तिमी मेरा दुखी प्रीयजनहरुलाई
एकपल्ट चुम्छौ भने ।

</poem>
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