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पुरानी हंसी / अनीता वर्मा

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अनीता वर्मा}}मुझे अच्छी लगती है पुरानी कलम<br>पुरानी कापी पर उल्टी तरफ़ से लिखना<br>शायद मेरा दिमाग पुराना है या मैं हूं आदिम<br>मैं खोजती हूं पुरानापन<br>तुरत आयी एक पुरानी हंसी मुझे हल्का कर देती है<br>मुझे अच्छे लगते हैं नए बने हुए पुराने संबंध<br>पुरानी हंसी और दुख और चप्पलों के फ़ीते<br>नयी परिभाषाओं की भीड़ में <br>संभाले जाने चाहिए पुराने संबंध<br>नदी और जंगल के<br>रेत और आकाश के<br>
प्यार और प्रकाश के।