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अभिलाषा / विमल गुरुङ

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सूर्यको किरण नपरेसम्म
उज्यालो हुँदैन
स्वदेशको लागि नमरी कोहि
शहिद बन्दैन !
पानीको बाढी,
हावाको आँधी
छेकेर छेकिन्न
शहिदको प्यारो आत्मालाई मारी
कदापी मारिन्न ।

</poem>
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