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ढाणी / ओम पुरोहित कागद

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<poem>
सगळां रै
सोयां पछै
तूं ईंज्योड़ो
उल्कापिंड।
जको ठा नीं
कठै पड्यो है
अर
जे
ठा भी पड़ै
किणी नै
तो उण नै
के फाईदो ?

ढाणी ताणी
कदै नीं पूगै
रासन री खांड
डागधर
अर
रासन पाणी
क्यूंकै
ढाणी बापड़ी
इण बातां नै
कद जाणी।
</poem>
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