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मां: 3 / मीठेश निर्मोही

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|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
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<poem>
नीं नीं व्है जैड़ी
सहयां ई
भाटौ बण
घर नै
घर
बणायौ राखै।

त्याग, तप, बलिदान
अर
संकळपां नै
हिमाळौ सूंप

बावनी बण
काढै
आखी जूंण।
</poem>
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