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मां: 7 / मीठेश निर्मोही

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|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
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<poem>
सींच अर सींच
अंतस री
ऊंडी सीरां
नदियां नै बेवड़ा
उंचाय
घूमर री
धमरोळां समदर में
गम जावै
थूं।
</poem>
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