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{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
रैवण नै भलांई
कोनीं म्हारै भाग झूंपौ
पण ठावण नै तौ है
हवेलियां
अर हाथा में करार।
डांग माथै ई
म्हारा डेरा सही
पण थांनै चुणावणी पड़ै
हवेलियां!
म्हे
लूखी-सूखी खाय
दाय पड़ै उठै ई
मांडदां घर
बिछ जावै धरती
तण जावै आभौ
देवौ म्यांनौ
कुण वडौ
थे
के म्हे ?
</poem>
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<poem>
रैवण नै भलांई
कोनीं म्हारै भाग झूंपौ
पण ठावण नै तौ है
हवेलियां
अर हाथा में करार।
डांग माथै ई
म्हारा डेरा सही
पण थांनै चुणावणी पड़ै
हवेलियां!
म्हे
लूखी-सूखी खाय
दाय पड़ै उठै ई
मांडदां घर
बिछ जावै धरती
तण जावै आभौ
देवौ म्यांनौ
कुण वडौ
थे
के म्हे ?
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