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म्यांनौ / मीठेश निर्मोही

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|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
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<poem>

रैवण नै भलांई
कोनीं म्हारै भाग झूंपौ
पण ठावण नै तौ है
हवेलियां
अर हाथा में करार।

डांग माथै ई
म्हारा डेरा सही
पण थांनै चुणावणी पड़ै
हवेलियां!

म्हे
लूखी-सूखी खाय
दाय पड़ै उठै ई
मांडदां घर
बिछ जावै धरती
तण जावै आभौ
देवौ म्यांनौ
कुण वडौ
थे
के म्हे ?

</poem>
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