भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मतना उजाड़ / मीठेश निर्मोही

5,574 bytes added, 09:58, 1 अप्रैल 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]] |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
म्हारै पांवडां रचीजी
पग डांडियां नै पाथर
सडकां काढणी
आखरियां सूं
चौपां नै
कटणी हांकणौ
आपौ आपनै ई
बाढणौ है भायला।
अै आखरियां
चौपाळां
पीचका नै
उवाळा
बाड़ां-बागरियां
खेतां पचावा
झूंपा अर माळा
औरण-औरण
थरपीज्योड़ा
भैंरूजी-भोमियाजी
मांमौजी-नाथजी
अर
कांकड़-कांकड़
सतियां जोगणियां रा थांन
म्हारा सागै ई अेहलांण।

बाड़ी-बाड़ी ऊभा
रूपाळा रोहिड़ै रा रूंख
रिंधरोही
फोग, खेजड़ी, बांवळ-जाळ
ज्यांरै पांण बरसै मेहूड़ौ
भरीजै समंद तळाव।

अै गुवाड़ियां रा ठांण
घर-घर हंदा,
ओडियां रा मंडाण
अर
भायां बीचली
खींचा तांण।

जोतण रै हळ-बळद
अर कमतर नै खेत
अठै तांई रांम भगत
हड़मांनां रौ थांन
म्हारौ मांन-गुमांन।

ओछा सवारथ रै लोभ
राजनीत रा आंटां
आंनै मतना उजाड़
आंरै उजड़यां
उजड़ै जीवा जूंण
आंरै पसरियां विगसै
आस अर विसवास।

दूध, भाजी अर
तरकारी रै ओळावै
मतना मोलाय
म्हारी इज्जत-आबरू
चाय-पांन अर
मिठाइयां रै अडांणै
मतना राख मिनखा जूंण।

मतना खोस
जुत्योड़ा हळ-बळद
‘संकर’ री नेपै
मतना बिगाड़
असल बीज।

मसखरियां करतां
मतना सूंप
म्हारा हरफ अर हाथ
मसीनां नै।

इण करम-धरम रै
गोरख-धंधै
मतना पाड़ म्हारौ
माजनौ
मतना उखाड़
माळी पानड़ियां।

घरां आयौ मां जायौ
थारौ आदर-सतकार
कद-कद थारौ आंवणौ।

थूं आयौ म्हारी पोळ
म्हारै पालर-टांकै
मतना विस घोळ

पांवणा रै बानै आयौ तौ
प्रीत पांवणा री पाळ
मतना बिगाड़
म्हारौ डोळ!
मतना बणाव
म्हनै स्हैर रै उणियार।

धूंवै रा लाटा लेवण
लूंबाळी सेजां
सजावण
भींतां रै थोक
मतना उखाड़
म्हारै खेतां री वाड़।

मतना उगाव
म्हारै तुळसी थांणै
धतूरा अर भांग
झूंपा रै वळिडां
मतना थरप
जाळी-गोखड़ा।

आंरै ऊगियां अर थरपियां
अपळंग व्हे जावैला
मिनखा जूंण।

भवै ई पाछा नीं बावड़ैला
ओडियां मंडांण
धावां रा ठांण।

अरथ विहूण व्हे जावैला
‘दूधां न्हावौ पूतां फळौ’ जैड़ा
अणगिण ओखांणा
चांवटौ विटळ जावैला
बैंड बाजां रै डाकै
टीवी-टूवी रै पसराव
हाकै ई धाकै।

नानी-दादी नै झुरैला
चकवा-चकवी री वात।
ढोल-ढमकौ अर
थाळियां री झणकार सारू
झीकैंला वांनै बैठी
धीवड़यां।

पांतरै पड़ जावैला
गणगौर-घुड़लौ
हिचकी-हिंडोळौ
तुळसी-तीज
ओळू-कागलियौ
पणिहारी-ईढांणी
मोरियौ-सुवटियौ
रांणौ-काछबियौ!

कंठां सूं जाता रैवैला
मंगळ गीत
सागै ई ढोलै अर
मरवण री प्रीत।

ऊजड़ैला चौसठ जोगणियां रा
थांन
छप्पन करोड़ देवां री
साळ
अर
तूटैला मोहाजाळ!

मिनख नै मिनख बणायौ
राखण
अै सै जरूरी है
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits