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मिनख-च्यार / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
सूरज
नीं भूल्यौ ऊगणौ
मरुधरा
नीं भूली घूमणौ
पून
नीं भूली बैवणौ
फूलां
नीं छोड्यौ खिलणौ
तितल्यां
नीं भूली फूलां माथै उडणौ
भंवरा
नीं भूल्या गीत गुणगुणाणौ

पण मिनख
थूं क्यूं भूलग्यौ
घणकरी सी काम री बातां

थूं आपरै
जरूत री चीजां ई
याद राखै

मिनख
थूं कद छोडसी सुवारथ।
</poem>
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