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मून अर सून / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
बानै
अबै आंगणै बिचाळै
लिटाय’र उढा दी चादर
अर
च्यारूंचफेर खींच दी
हळ्दी री लेण

आंगण री तुळछी
जाणै खड़ी निरखै
बानै उदास-उदास
जिण नै ढाळता
बै’
दिनुगै-दिनुगै
गडियो पाणी रौ

बीजळी रै
तारां माथै बैठी
निरखै चिडक़ल्यां
जिणां सारू छात माथै खिंडांवता
बै’
ज्वार-बाजरी रौ चूण

दुराजै माथै
लागर्यौ है
कीड़ी नगरै रौ जमघट
जिणां रै बिलां माथै बुरकांवता
बै’
आटै-खांड रौ बूर

गळी रौ धोळियौ कुत्तौ ई
बैठ्यौ निरखै बांनै
उतर्योड़ै मुंडै
जिकां रै साथै
बौ’ सुबै-स्याम
करतौ किलोळिया
अर
बै’ खुवांवता कान जित्तौक
रोटी रौ कोर

घर में
पसरग्यौ है मून
अर आखौ जग
जाणै हुयग्यौ है सून।
</poem>
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