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उम्मीदां अर निजर / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
म्हूं
दो मईनां री होई
जणां बापूजी आया
आपरै कैम्प स्यूं
घरां

म्हूं सोच्यौ
कै बै’ मन्नै
गोदयां में लेय’र
दैला हींडा
म्हारा करसी लाड-कोड
ल्यैला प्यारिया
अर करसी
घणी सारी बातां
आखै देस रा रुखाळा
म्हारै बापूजी स्यूं
म्हूं
भौत उम्मीदां
पाळ राखी
क्यूंकै
म्हूं बापूजी री ही
घणी लाडली पाखी

मा स्यात
बापूजी री
निजरां पिछाणली
जदी बा’
घणी ई चीखी-चिरळाई
कै
ईंयां नां कर डाकी

पण बापूजी
किणी री नीं सुणी
बां’
मन्नै बाळ्टी में
डबो-डबो’र
मार नाखी।
</poem>
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