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घर-दोय / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
घर छोड’र
चिडक़ली चाल पड़ी
आपरै नूंवैं घर बार

बण आपरै जलम रौ
घर ई नीं छांड्यौ

मां-बापूजी
बैन-भाई
सखि-सहेल्यां
अर आपरी
सगळी यादां नै समेट’र
चाल पड़ी

बा’
अेक नूंवैं घर री
काया में प्रवेश सारू।
</poem>
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