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प्रकृति / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
भाँत-भाँत री सौरम
अर
भाँत-भाँत रा रंग
थूं कठै स्यूं ल्यावै
म्हारा रंग-बिरंगा फूल

प्रकृति
म्हूं तन्नै
बार-बार करूं नीवण
थूं इणां में
कठै स्यूं भरै
इस्सौ फूटरौ जीवण।
</poem>
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