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सोच-दोय / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
जद
साढे च्यार बरसां रै
बेटै अभि नै
बापू जी कैयौ-
तेरी नानीजी रा पापाजी
एक्सपायर हुयग्या अभि!

अभि अचुंभौ कर’र कैयौ-
इत्ता चटकै चल्या गेया!
आ’ तो भौत गळत बात है
इत्तौ केय’र
बौ’ देखण लागग्यौ
टीवी में
भांत-भांत रा कार्टून

म्हूं सोच में पडग़ी
कै
औ’ ईंरौ टाबरपणौ है
कै औ’ जाणै
आखै जग रौ दरसन।
</poem>
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