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हुनर अर जीवण / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
हिरणती
आपरी नूंईं पीढी नै
देवै सीख

कै हुनर
हासल कर्यां ई हुयसी
तेरै जीवण रौ
बेड़ौ पार

अठै जणौ-कणौ
मांस भखै।
</poem>
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