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खेत-स्क्रैप / मोनिका गौड़

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|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
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<poem>
खेत जिका सुणावता हरियल राग कदैई
मुळकता हा परसेवै रै उणियारै
निपजावता-पोखता
नेन्हा-मोटा सुपना
आभै री बाखळ
गावती ही जिंदगाणी
टीटूड़ी री टीं-टीं रै तानपुरै
अपणायत रा मधरा गीत
पीढियां रो साखी पीपळ
नीं थकतो, आसीस देवतो
गांव रै दादै ज्यूं
अचाणकचक फूट्यो हाको
विकास अर बदळाव रो
साव सूनी गळियां
जाणै मौताणै चिरळाई हुवै!
बिकग्या खेत
बदळाव रै बायरै धकै
फायरिंग रेंज रै सीगै
बणग्या रणखेत अभ्यास रा
खेत मालिक बणग्या मजूर
अबै खेतां नीं निपजै
सपनां कै जिंदगाणी री हूंस
अबै फगत स्क्रैप ई स्क्रैप निगै आवै
थाकल आंख्या नैं।
</poem>
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