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भोळा कबूतर / मोनिका गौड़

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<poem>
आजादी रै उच्छब में
उडाया शांति रा कबूतर
अेकता, अखंडता
अर भाईचारै रै नांव रा।

स्याणा कबूतर
उड्या दूर राजधानी री
सींव सू अळघा,
भोळा रंधग्या
सत्ता री रसोई में
जीभ रै अेकल स्वाद सारू
भाईचारै रै नांव।
</poem>
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